चत्वारि पदजातानि |
पद निरूपणम् |
धातुगणाः |
सुबन्तनिरूपणम् |
तिङन्त निरूपणम् |
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चत्वारि पदजातानि -नामाख्यातोपर्गनिपाताः। | नाम्नोऽपि सत्ता द्रव्यं सङ्ख्या लिङ्गमित्येतेऽर्थाः। | नामान्याख्यातजानि। सत्वप्रधानानि नामानि। |
भावप्रधानमाख्यातम्। भावकालकारसङ्ख्याश्चत्वार एतेऽर्था आख्यातस्य। |
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1) नामानि | 2) उपसर्गः | 3) आख्यातः/ धातुः | 4) निपाताः | ||
रामः, रमा, ज्ञानम् ... | कृत् वृत्तिः (घञ्) | (22) प्र, वि, परा ... | धातुः (उदा- रमु/ भू/ डु-कृञ्....) | (अव्ययम्, अव्ययीभावः) | |
प्रातिपदिकम् |
प्रातिपदिकम्+ स्रीप्रत्यय- प्रातिपदिकम् राम+(टाप्)आ - रामा |
अर्थतः - (परस्मैपद/आत्मनेपद/उभयपद), (सकर्मक/ अकर्मक) | रूपतः - (अनिट्/सेट्) | ||
प्रातिपदिकम्+ सुप् |
सुबन्तम् |
तिङ् |
सनाद्यन्ताः (धातुवृत्तिः) | ||
सुबन्त+ तद्धित {राम+इञ् - रामिः (पुत्रः)} |
तद्धितवृत्तिः |
तिङन्तम् |
लकाराः |
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सुबन्त+ सुबन्त {राम + भार्या - रामभार्या} |
समासवृत्तिः |
(कालः) भूते | (कालः) वर्तमाने | (कालः) भविष्यति | इतरत्र |
सुबन्त+ सुबन्त 1) माता+पिता - पितरौ 2) राम, राम, राम - रामाः |
एकशेषवृत्तिः |
1) (अनद्यतने परोक्षे) लिट् (बभूव) 2) अनद्यतने लङ् (अभवत्) 3) लुङ् (अभूत्) |
लट् (भवति) | 1) (अनद्यतने) लुट् (भविता) 2) लृट् (भविष्यति) |
1) विधि, आशिषि - लोट् (भवतु) |
धातु गणाः | रूपम् |
भ्वादयः | 1) भवति (शप्) |
अदादयः | 2) अत्ति (शप् लुक्) |
जुहोत्यादयः | 3) जुहोति (श्लु - अभ्यासः) |
दिवादयः | 4) दीव्यति (श्यन्) |
स्वादयः | 5) सुनोति (श्नु) |
तुदादयः | 6) तुदति (श) |
रुधादयः | 7) रुणद्धि (श्नम्) |
तनादयः | 8) तनोति (उ) |
क्र्यादयः | 9) क्रीणाति (श्ना) |
चुरादयः | 10) चोरयति (णिच्, शप्) |
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | पुरुषः |
भवति | भवतः | भवन्ति | प्रथम |
भवसि | भवथः | भवथ | मध्यम |
भवामि | भवावः | भवामः | उत्तम |
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | विभक्तिः |
रामः | रामौ | रामाः | प्रथमा |
(हे) राम | (हे) रामौ | (हे) रामाः | सम्बोधन प्रथमा |
रामम् | रामौ | रामान् | द्वितीय |
रामेण | रामाभ्याम् | रामैः | तृतीया |
रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्यः | चतुर्थी |
रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः | पञ्चमी |
रामस्य | रामयोः | रामाणाम् | षष्ठी |
रामे | रामयोः | रामेषु | सप्तमी |
एवम् - | कृष्णः, शिवः, गोविन्दः |